मोतिहारी।
जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सोमवार को सदर पीएचसी मोतिहारी से सिविल सर्जन डॉ रविभूषण श्रीवास्तव एवं डीभीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा की देखरेख में प्रशिक्षित दलकर्मियों के द्वारा सिथेटिक पाइरोथाइराइड का छिड़काव आरम्भ किया गया।मौके पर सिविल सर्जन ने कहा की अगले 60 दिनों तक जिले के 23 प्रखंडों में दवा छिड़काव कार्यक्रम चलाया जाएगा ताकि लोग कालाजार रोग से बच सकें।उन्होंने बताया की प्रखण्डों के स्वास्थ्य केंद्रों को दवा, बैनर, पोस्टर उपलब्ध कराई जा चुकी है। वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि जिले के 23 प्रखंडों के चिह्नित 345 पंचायतों के 1 हजार 2 सौ 43 गाँवों के 01लाख 88 हजार 627 घरों में संचालित होगा।उन्होंने बताया की जिले में कालाजार के मामलों में कमी आ रही है। वर्तमान में नवंबर 24 तक 24 केस ही प्रतिवेदित है। कालाजार से मुक्त करने की दिशा में स्वास्थ्य कर्मी व विभागीय अधिकारी सक्रिय हैं। इसके लिए महादलित बस्तियों एवं झुग्गी-झोपडी में कालाजार से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ सिंथेटिक पाइरोथाइराइड कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा। कालाजार को जड़ से समाप्त करने व छिड़काव की गुणवत्ता के लिए प्रखंड स्तर पर बैठक के आयोजन के साथ कर्मियों का प्रशिक्षण करा दिया गया है। ताकि जिले से कालाजार खत्म हो सके। उन्होंने बताया कि जिले में पर्यवेक्षक टीम का गठन किया गया है जो छिड़काव कार्य का सतत अनुश्रवण करेगी।छिड़काव के वक्त इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है -घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें,खाने-पीने के सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर कर दे,भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर उसे ढक दें। डॉ एस सी शर्मा ने बताया कि कालाजार के संपूर्ण उन्मूलन के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए सरकार की तरफ से आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में 100 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। आशा कार्यकर्ता छिड़काव होने से पहले घर-घर जाकर लोगों को इसकी जानकारियां देंगी। उन्होंने बताया कि छिड़काव चक्र के दौरान चयनित गांवों के सभी घरों एवम गौशाला के अंदर पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए। अगर एक भी घर छिडकाव से वंचित रह गया, तो बालू मक्खी के पनपने का खतरा बना रहेगा।
भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि बालू मक्खी के काटने से ही कालाजार होता है। उन्होंने बताया कि यह मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। इसलिए दवा का छिड़काव घरों, गौशालाओं की दीवार पर छह फीट तक किया जाता है। वहीं उन्होंने बताया कि क्षतिपूर्ति के रूप में कालाजार के मरीजों को सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है।
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।
