पटना:।
जयप्रभा मेदांता हाॅस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डाॅ. रवि शंकर सिंह, पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता वाईवी गिरी ने मंगलवार की रात नौ बजे जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य की जानकारी दी। डॉ रवि शंकर ने कहा कि आगे क्या होगा कहना मुश्किल है, आगे चीजें कॉम्प्लीकेटेड हो सकती हैं। हम उनसे कह रहे हैं कि खाना लें, लेकिन वे अपने निर्णय पर कायम हैं। अभी आईवी के जरिए न्यूट्रीशन व दवाईयां दे रहे हैं। अभी स्थिति ठीक है, लेकिन हम बार-बार उनसे कह रहे हैं कि खाना खाएं, ताकि हमारा काम आसान हो सके। टेस्ट रिपोर्टस आ गए हैं, उसके बाद दो नई दवाईयां भी देंगे, तबीयत ठीक रहती है तो उसके बाद ही हम उन्हें आईसीयू से बाहर लेकर आएंगे। अभी डिस्चार्ज करने की बात नहीं कर रहे हैं।
पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा ने कहा कि जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की कंडीशन स्थाई है, लेकिन चिंताजनक है। वे आईसीयू में हैं और अपना अनशन न तोड़ने पर अटल हैं। हमने उनसे आग्रह किया कि वे अपना अनशन तोड़ दें और उसके कारण भी बताएं। आपकी मुहिम बिहार में बुनियादी परिवर्तन लाने की है, ये लड़ाई लंबी है और उसके लिए उर्जा चाहिए, आप पांच दिनों से अनशन पर हैं, आप आईसीयू में हैं। बावजूद प्रशांत किशोर अपना निर्णय बदलने को तैयार नहीं हैं।
मैं नीतीश जी के साथ लंबे समय तक जुड़ा रहा, उनका सलाहकार भी रहा। मुख्यमंत्री का 5 अभ्यर्थियों से मिलने से इंकार करना, उनको सुनवाई न देना, मैं इसपर टिप्पणी करना चाहता हूं कि ये प्रशासनिक असंवेदनशीलता का प्रमाण देता है, जो गलत है। मैं उसकी आलोचना करता हूं। हम प्रशांत किशोर जी से आग्रह करेंगे कि इस लड़ाई के लिए उनका स्वस्थ रहना जरूरी है, आईसीयू में रहकर भी अनशन करेंगे तो वे स्वस्थ कैसे रहेंगे?
वरिष्ठ अधिवक्ता वाईवी गिरी ने कहा कि कल जब बेल को लेकर बहस हो रही थी, तभी मैंने प्रशांत किशोर को कहा था कि आप जेल जा रहे हैं और कंडीशन नहीं माना जा रहा है तो आप जेल में अपना अनशन तोड़ दें। बिहार के लोगों को उनकी जरूरत है। हम कहेंगे कि वे जिन युवाओं के लिए बैठे हैं वे प्रशांत जी से आग्रह करें कि वे अपना अनशन तोड़ दें, क्योंकि ये लड़ाई बहुत लंबी है। फिर कुछ दिनों के बाद जब वो ठीक हो जाएं तो इस लड़ाई को फिर से शुरू किया जाएगा। अब समय आ गया है कि हम लोग न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएं। बीपीएससी के कुछ अभ्यर्थी हमारे पास कल भी और आज भी आए थे, हम लोग मिलकर विचार कर रहे हैं कि इस मुद्दे को हाईकोर्ट में ले जाएं। हम प्रशांत जी से आग्रह करना चाहते हैं कि जब हम न्याय का दरवाजा खटखटा रहे हैं, तो आप अपना अनशन तोड़कर बिहार के विकास के लिए सहयोग करना चाहिए।