पूर्वी चंपारण जिले के कालाजार प्रभावित कोटवा प्रखंड के गाँवों का गुरुवार को निरीक्षण किया। दौरे पर आयी टीम में एनपीओ, डब्ल्यूएचओ से डॉ शाहवर काज़मी, ज़ोनल कोऑर्डिनेटर डॉ माधुरी देवराजू, विकास सिन्हा, जिले के महामारी पदाधिकारी डॉ राहुल राज, भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार शामिल थे। इस दौरान टीम ने कोटवा के कालाजार के मरीजों से मिलकर फॉलोअप करने के साथ ही छिड़काव कार्यों का निरीक्षण करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश दिया। डॉ माधुरी देवराजू ने बताया कि जिले के 23 प्रखंडों में कालाजार रोधी दवा का छिड़काव हो रहा है। जिले के 4 प्रखंड कालाजार मुक्त हो चुके है। उन्होंने जिलेवासियों से घरों में सही तरीके से आईआरएस छिड़काव करवाने की अपील की, ताकि संक्रमित बालूमक्खी को समाप्त किया जा सके।
भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पताल में इलाज के साथ ही कालाजार संक्रमित मरीजों को सरकार द्वारा श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज़ को 7100 रुपये की श्रम-क्षतिपूर्ति दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये है। पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के पीड़ित मरीज को राज्य सरकार द्वारा 4000 रुपये की सहायता राशि श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है।
कालाजार के लक्षण है- दो हप्ते से ज्यादा समय से बुखार, खून की कमी (एनीमिया) , जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ता, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना है।सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसके लक्षण है।
