मोतिहारी।
जब खुद को प्यासे है पोखर-नदी तो दुसरे का प्यास कैसे बुझायें…हाल ए आलम सुगौली का है। जहां तापमान में वृद्धि होने से नदी,पोखर व चौर सूख गए है। वहीं जलस्तर में गिरावट से किसानों को परेशानी हो रही है। जहां किसान बारिश के लिए तरस रहे है, वहीं दुसरे की प्यास बुझाने वाली नदी पोखर खुद को प्यासे है। जो पूरी तरह से सुख गई है। प्रखंड के प्रमुख नदियों के प्रवाह क्षेत्र में आ रही कमी से निकट भविष्य में गंभीर जल संकट होने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। खासकर प्रखंड क्षेत्र के सिकरहना नदी, धनौती नदी, सुगांव मन में इसका व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है। सिकरहना नदी में तो कुछ पानी है, पर प्रखंड के अंतर्गत नदी, चौर, पोखर पूरी तरह से सुख गई है। हालांकि कि पूर्व के वर्ष की तरह इस मास में सिकरहना नदी में बहुत कम पानी है।
प्रखंड क्षेत्र के कई नदी, पोईन व पोखर सूख गए हैं। जिसका असर खेती व पशु पक्षी पर सीधे तौर पड़ रही है। जिस पोखर नदी में अभी पानी रहना चाहिए जिसमें धूल उड़ रहे है तो वहीं अधिकांश नदी पोखर में घास पतवार जम गया है। क्षेत्र में जल स्तर में कमी आने के कारण पानी पटवन के दौरान बोरिंग से पानी की मात्रा में भी कमी आई है। सिंचाई में भी किसानों को पर्याप्त जल नहीं मिल रहा है। प्रखंड के श्रीपुर, भटहां, कोबेयां से होते हुए गुजरने वाली धनौती नदी मे पानी पूरी तरह से सुख गया है। जहां सूखा हुआ मिट्टी व खरपतवार दिख रहा है। इस नदी का हाल यह है कि श्रीपुर के समीप नदी में कई लोग धान का बीचड़ा उगा दिए है। इससे पहले कुछ लोग मक्का का भी खेती किए थे।
इसके साथ हीं क्षेत्र के कई पोखर का पानी पूरी तरह सूख गया है। जिससे क्षेत्र के मवेशी व पशु पक्षियों को पीने के पानी व नहाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बताते चलें कि पूर्व में नदी व पोखर में पानी रहने से लोग मवेशियों को नहवाने व अन्य तरह के कार्य सहित पंपसेट लगाकर पानी पटाने का काम करते थे। वहीं आज के समय में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मतलब नदी में पानी नहीं है।
नदी,पोखर में पानी नहीं होना किसानों को खल रहा है। क्योंकि मानसून दगा दे दिया है। अगर पानी रहती तो किसान नदी व पोखर से पंपसेट से पानी पटाकर धान की रोपनी करते या बिचड़े में पटवन करते। क्योंकि कम हीं मात्रा में किसान बोरिंग गडवाए है। वैसे किसान जो बारिश या नदी पोखर से पानी का पटवन कराने पर अधारित है,उन्होंने भारी तकलीफ हो रही है। प्रखंड के भटहां, गोपालपुर, भटवलिया सहित अन्य पोखर पूरी तरह से सुखा हुआ है। भटवलिया पोखर के अवस्थित ग्रामीणों ने बताया कि बिते साथ इसमें इस समय पानी था। अभी पानी नहीं रहने से माल जाल को तकलीफ हो रही है।
कभी इस समय नदियों में पानी की कल कल आवाज निकलती थी। वहीं आज सुखे की मार झेल रही है। अगर हम विते कुछ वर्षों की बात करें तो इस मास में सरेह में पानी का नजारा दिखता था वहीं इस वर्ष अभी नदी व चौर पानी के लिए खुद तरसती नजर आ रही है। बिते वर्ष इतना पानी में कमी नहीं था। वर्ष 2022 के जून माह में कुछ जगहों पर जलजमाव भी था। वर्ष 2021 में जून महिने सभी नदी लबालब थी और प्रखंड में 17 जून को बाढ़ दस्तक दे दिया था। वर्ष 2020, 2019, 2018 जूलाई में बाढ़ गया था। जिसके पहले जून माह में सभी नदी पोखर में कमोवेश पानी था। वहीं इस वर्ष पानी किसानों के आरमान पर पानी फेर दिया है।
बेरूखी मौसम की मार से प्रखंड क्षेत्र के किसान परेशान है। बारिश नहीं होने से किसान काफी चिंतित है। प्रचंड गर्मी से जुझ रहे लोग बारिश के लिए टकटकी लगाए है। पानी के अभाव मे खेतों में लगे गन्ने का फसल मुरझा रहे है। तो वहीं धान का बिचडा सुख रहे है। जिससे किसान चिंतित है। ऊमश भरी गर्मी के कारण खेतों में पड़ रहे दरार के कारण किसानों का होश उडने लगा है। समुचित सिचाई के अभाव मे गन्ने का फसल दम तोड़ रही है। जिस कारण स्थानीय किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर दिख रहा है। वहीं तीखे धूप के बीच बंजर पडी खेतों की जुताई में भी परेशानी हो रही है।