मोतिहारी।
जिले के फाइलेरिया( हाथी पाँव) के मरीजों को एमएमडीपी किट में एक विशेष प्रकार की चप्पल मिलेगी जिससे हाथी पाँव के मरीजों को चलने मे अब काफ़ी आसानी होगी।लेप्रा संस्था के द्वारा हाथीपांव से ग्रसित फाइलेरिया मरीजों के लिए पहली बार एमएमडीपी किट में विशेष प्रकार का चप्पल शामिल किया गया है। उक्त चप्पल का निर्माण फाइलेरिया से ग्रसित हाथीपांव के मरीजों के स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए किया गया है।पूर्वी चम्पारण जिले में 19 लाख लागत के 3800 किट की डिमांड की जा चुकी है जिसमें 1513 किट जिला फाइलेरिया कार्यालय को उपलब्ध हो चुका है। जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा ने बताया की एमएमडीपी किट से फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों के प्रभावित अंगों की देखभाल में आसानी हो जाती है, इसके उपयोग व व्यायाम से सूजन में कमी आती है।उन्होंने बताया की फाइलेरिया मरीजों की इलाज सभी 27 पीएचसी के फाइलेरिया क्लिनिक पर इलाज हेतु दवाए उपलब्ध है। उन्होंने बताया की लाइन लिस्टिंग के अनुसार जल्द ही हाथी पाँव के मरीजों के बीच किट वितरित की जाएगी।वहीं फाइलेरिया (हाइड्रोसील मरीजों)का निःशुल्क ऑपरेशन कराया जाएगा।उन्होंने बताया की सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था द्वारा जिले में बनाए फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क के सदस्यों का फॉलोअप किया जाएगा साथ ही जिनको किट प्राप्त नहीं हुआ है उन्हें भी उपलब्ध कराया जाएगा। जिले में 8628 फाइलेरिया मरीज है। जिनमें 1566 हाथी पाँव के मरीज है जिनमें 18 मरीजों का अनुमण्डलीय अस्पताल चकिया एवं सदर अस्पताल मोतिहारी में ऑपरेशन कराया जा चुका है।वर्ष 2024 मार्च महीने तक कुल 2270 एमएमडीपी किट वितरित किए है।
जिला भीबीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा ने कहा कि फाइलेरिया( हाथी पाँव ) एक गंभीर रोग है जो
मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण शुरू में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके लक्षण आने में कभी कभी सालों लग जाते है। प्रायः फाइलेरिया मरीजों में बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और अंडकोषों की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इससे बचाव के लिए विभाग द्वारा जिले में नाइट ब्लड सर्वें कराया जाता है ताकि लोगों में छिपे हुए फाइलेरिया परजीवी की पहचान हो सकें, उन्होंने बताया की सर्वें के समाप्त होने के बाद बिहार के फाइलेरिया से प्रभावित जिलों में 10 फ़रवरी से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम संचालित किया जाता है।