नये अपराधिक कानून को लेकर पूर्वी चंपारण के सभी थाना में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को आवश्यक जानकारी दी गई। इसी क्रम में सुगौली में
स्थानीय थाना व रेल थाना में नए आपराधिक कानून 2023 को लेकर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। पुराने कानून के बाद अपना कानून बनने पर जनप्रतिनिधियों व वुद्धिजीवियों को अवगत कराया गया। पुलिस निरीक्षक अशोक कुमार पाण्डेय व रेल पुलिस निरीक्षक संतोष कुमार, थानाध्यक्ष मुन्ना कुमार व रेल थानाध्यक्ष धमेंद्र कुमार ने नए आपराधिक कानून के बारे में जनप्रतिनिधियों व आमलोगों को बिंदुवार जनकारी दिया। थाना में आयोजित कार्यक्रम में पुरूष के साथ- साथ महिला पुलिस पदाधिकारी आमजन को नए आपराधिक कानून की खास बातों के प्रति जागरूक किए। नए कानून लागू होते ही केस करने की प्रक्रियाएं बदल गया है।
बताया गया कि आम लोगों को कानूनी मामले में सुविधा और सहायता, सरल, सुलभ और कम समय में सम्पूर्ण न्याय को लेकर देश में भारतीय अपराध आचार संहिता सहित अन्य धाराओं में भारी फेरबदल कर एक जुलाई से नए कानून लागू कर दिए गए है। जिसमे पुलिस, न्यायपालिका, मेडिकल रिपोर्ट,एफएसएल की टीम, तकनीकी टीम की वैज्ञानिक जांच सहित अन्य विभाग को एक साथ जिम्मेवार बनाया गया है। अब कोई भी व्यक्ति देश में कही से ऑनलाइन अपना केस दर्ज करा सकता है और 72 घंटे के भीतर अपने थाना में पहुंच कर अपने एफआईआर पर हस्ताक्षर करना होगा। जिसकी जांच की प्रगति रिपोर्ट एक साथ सभी जगह उपलब्ध मिलेगी। वॉइस रिकॉर्ड और वीडियो रिकॉर्ड को सबूत मान कर केस का निष्पादन किया जाएगा। डिजिटलाइज और टेक्निकल जांच को प्राथमिकता दी जाएगी। जिससे न्यायपालिका निर्धारित समय में न्याय कर सकेगी। मिशिनरी का दुरुपयोग नही हो और न्यायिक पारदर्शिता बनी रहे।
जिसको लेकर पूर्व की सीआरपीसी को बदल भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 बना दिया गया है। जिसमें पूर्व की 484 धाराएं अब 531 धाराओं में बदल गई है। इसमें नौ नई धाराएं जुटी है और 14 को निरस्त किया गया है। आईपीसी के 511 धाराओं को संशोधित करते हुए 358 धाराओं में बदल दिया गया है। 20 नए आपराधिक धाराओं को जोड़ा गया है। कई अपराधों के लिए न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। तो छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामूहिक सेवा की सजा दी जाएगी। कुछ अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है, तो कुछ अपराधों की सजा बढाई गई है। 7 साल से अधिक सजा वाले मामलों में एफएसएल टीम की जांच आवश्यक होगी। पीड़ित महिला की सहमति पर हीं मेडिकल जांच की जा सकती है। जिसका रिपोर्ट डॉक्टर को सात दिन के अंदर हर हाल में ऑनलाइन देना होगा।महिला पर केस मामले में जांच और अनुसंधान के दौरान महिला पुलिस का रहना अनिवार्य होगा। केस की जांच,अनुसंधान या छापेमारी के दौरान वीडियोग्राफी किया जाएगा। दर्ज मामलों का 90 दिनों के अंदर अनुसंधान कर रिपोर्ट देना होगा। जिसकी जानकारी पीड़ित को भी दी जाएगी। इसके साथ हीं कई तरह के बदलाव किए गए है।




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