मोतिहारी।
भूमि अधिग्रहण के पेंच में प्रखंड के सुकुलपाकड़ धुमनी टोला के ध्वस्त बांध के निर्माण में ग्रहण लगा है। पांच साल में पचास फीट से लेकर पन्द्रह सौ फीट बांध ध्वस्त हो गया है। बिते बाढ़़ में ध्वस्त बांध व जर्जर बांध की मरम्मती नही होने से सुकुलपाकड़ पंचायत सहित सिकरहना नदी किनारे अवस्थित गांवों के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। हर बार तेज उफनती धारा में प्रखंड के सिकरहना नदी का रिंग बांध कई जगहों पर तोड़ती हुई गांवों में प्रवेश करती है। जिससे लोग बाढ़़ से जुझने को मजबूर होते हैं। हर बाढ़़ में नदी किनारे बसे दर्जनों गांवों के लोगों का पलायन होता है। वावजूद भी इसके स्थायी निदान के लिए अबतक कोई ठोस योजना नहीं बन सकी है। मॉनसून के आहट के साथ हीं सिकरहना नदी किनारे बने रिंग बांध के ध्वस्त होने से नदी किनारे बसे सुकुलपाकड़ पंचायत के धूमनी से लेकर दक्षिणी मनसिंघा पंचायत के कई गांव के लोग इसबार फिर से अवश्यंभावी बाढ़़ के डर से चिंतित है।
सुकुलपाकड़ के धूमनी टोला में 15 अगस्त 2017 में करीब 50 फीट सिरहना नदी के पास बाढ़ के दौरान बांध टूट गया। जिसका निर्माण अगले वर्ष भी नहीं हो पाया। जर्जर बांध की मरम्मत नहीं होने से वर्ष 21 में भी बांध ध्वस्त होते गया। धीरे धीरे यह बांध लालपरसा से पं.चंपारण क्षेत्र के कुछ हिस्से तक डेढ़ हजार फीट से अधिक ध्वस्त हो गया। हालांकि विते वर्ष हल्की बाढ आने से लोगों को खास क्षति नहीं पहुंचा। पूर्व में बांध निर्माण की तैयारी अभी चल हीं रही थी कि इसी बीच बाढ़ ने दस्तक दे दी। जिस बांध को करीब छह वर्ष बित जाने के बाद भी अबतक नहीं बांधा जा सका है। जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है। जिन्हें भविष्य की चिंता सता रही है। इसको लेकर स्थानीय ग्रामीण व भाजपा के युवा नेता अमर किशोर पटल ने बताया कि समस्या के निदान के लिए कोई पहल नहीं हो रहा है। ध्वस्त बांध के निर्माण नही होने से इसबार अगर बाढ़ आई तो लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी। इस बार अगर बाढ़ आयी तो सीधे गांवों में प्रवेश कर तांडव मचाएगी। अब तक समस्या के निराकरण के लिए ठोस पहल नहीं की गयी। अधिकारियों की माने तो बांध स्थित नीजि जमीन की समस्या उत्पन्न होने के कारण बांध निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही है। जिसको लेकर विभागीय कार्रवाई भी की गई। इस बाबत सीओ कुंदन कुमार ने बताया कि धूमनी टोला में रैयती जमीन होने के कारण बांध निर्माण में व्यवधान आई है। इसको लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दिया गया है। इस संबंध में कार्यपालक अभियंता सिकरहना तटबंध आलोक कुमार ने बताया कि दो साल पहले बांध बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। विभाग से स्वीकृति भी मिल गई थी। चुकि रिंग बांध नीजी जमीन पर बनाना था। ग्रामीणों ने स्वेच्छा से जमीन देने की बात भी कही गई थी, लेकिन जब उस दिशा में कार्रवाई शुरू किया गया तो जमीन वाले ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। जिससे बांध नही बन सका।
कुछ वर्षों को छोड़ लगातार सुगौली में आ रही बाढ़ से हर वर्ष जान माल की भारी क्षति हुयी है। हालांकि हर वर्ष बाढ़ के बाद स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के यहां जांच के लिए आने और बाढ़ पीड़ितों को फिर से बाढ़ से बचाने का आश्वासन दिया जाता रहा है। पर इन बांधों की मरम्मत ससमय नहीं होने से बाढ़ काल बनकर हर वर्ष तबाही लेकर आ धमकती है। इस वर्ष भी अगर बाढ़ आई तो फिर से सीधे गांवों में पहुंचकर भारी तबाही मचाएगी। धूमनी टोला के ध्वस्त बांध द्वारा पानी निकल लालपरसा, चीलझपटी आदि गांव को प्रभावित करते हुए सुकुलपाकड़ पंचायत सहित अगल बगल के कई पंचायतों को प्रभावित करती है। स्थानीय रविन्द्र सहनी, अमरकिशोर कुमार, भभीखन पटेल, दरोगा सहनी, अरविंद कुमार आदि ने कहा कि राजनैतिक व प्रशासनिक पदाधिकारियों की उदासीनता से धूमनी टोला के समीप ध्वस्त रिंग बांध की मरम्मत नहीं की जा सका। अगर बाढ़ पूर्व बांध नहीं बना तो इस वर्ष भी बाढ़ से भारी क्षति होगा। वावजूद भी सरकार व प्रशासन कोई ठोस कदम नही उठा रही है। उक्त ध्वस्त बांध का निर्माण प्रारंभ नही किए जाने से स्थानीय लोगों में दहशत बढते जा रहा है।