मोतिहारी।
सुगौली नगर के नौवाडीह निवासी रफुल आजम बेग का पुत्र सुल्तान बेग शुक्रवार को जुम्मे की नामाज के बाद हज के लिए पैदल निकल पड़े। मस्जिद में मौलाना कलीमुल्लाह साहब, डॉ कमरुज्जमा साहब, कारी हैदर साहब, कारी नूर आलम साहब, मुखिया अशफाक अहम, मो. अब्दुल्ला, कारी इमरान साहब के मौजुदगी में दुआं मांगी गई फिर हज के सफर के लिए सुल्तान पैदल निकल पड़े। इससे पहले सुल्तान बेग लोगों से मुलाकात कर और अपने नौजवान भाईयों से गले मिलते हुए हज के सफर के लिए पैदल निकल गये। वहीं सफर में जाने के रास्ते बेतियां, नरकटियागंज, बगहां होते हुए दिल्ली, पंजाब, बाघा बोर्डर होते हुए पाकिस्तान, इरान होते हुए सऊदी अरब के मक्का मदिना सरीफ पहुंचेंगे। जहां उनकी आखिरी मंजिल होगी जहां वह हज करेंगे। साथ ही सफर में पुरे एक वर्ष यानि 2025 में आखिरी मंजिल उनका होगा जहां वह हज करेंगे। वे हर दिन 25 से 30 किलोमीटर सफर के दौरान रास्ते को तय करना है। इस पाक घडी में घर से बेतिया तक जा रहे नौजवान को सफर के दौरान छोड़ने के लिए परिजन, रिश्तेदार, दोस्त व पड़ोसी कदमों से कदम मिलाकर साथ गये।
जो पश्चिमी चम्पारण के बेतिया तक छोड़ कर बाकी लोगों की वापसी हो गई। वही हज के सफर में जा रहे सुल्तान बेग को फूलमाला पहनाकर मुकद्दस हज यात्रा के लिए रवाना किया गया। हज को पैदल सफर कर रहे नौजवान के लिए लोग खास दुआ व पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दरबार में सलाम पेश करने की दरख्वास्त करते भी नज़र आ रहे हैं। इस मुबारक सफर पर मुसलमानों ने उन्हें नम आंखों से अलविदा कहा और अपने लिए दुआ भी कराई।
सफर में जा रहे सुल्तान बेग को रवाना करने के लिए पहुंचे कारी हैदर व मौलाना कलीमुल्लाह साहब ने कहा कि हर मुसलमान की ये ख्वाहिश होती है कि वह हज यात्रा पर जाए। हज करते हुए अल्लाह के घर यानी खाना-ए-काबा और पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रौजा-ए-मुबारक की जियारत करे। यह बहुत बड़ी बात है कि हमारे कस्बे का नौजवान युवक वह भी पैदल हज के लिए निकल पड़ा है। यही दुआ है कि अल्लाह ताला पैदल हज की सफर को आसान फरमाकर हज कबूल फरमाए। हज दीन-ए-इस्लाम का आखिरी फरीजा है। जिसे अल्लाह ने सन् 9 हिजरी में फ़र्ज़ फरमाया। जो मालदारों पर फ़र्ज़ है और वह भी ज़िंदगी में सिर्फ एक बार। वहीं सुल्तान बेग ने कहा कि यह मेरी खुशनसीबी है कि अल्लाह और रसूल ने मुझे हज के लिए चुना। बस जल्द हीं मक्का व मदीना शरीफ़ पहुंचने का तमन्ना है। इबादत कर खूब दुआएं मांगनी है मुल्क,परिवार के लिए। हज के तुफैल मक्का व मदीना शरीफ में मौजूद तमाम पवित्र स्थानों को देखने व जानने का मौका भी मिलेगा।