एमडीआर टीबी मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है जिला यक्षमा केंद्र– वर्ष 2024 में मिले 83 एमडीआर टीबी के मरीज– दवाओं को नियमित रूप से नहीं लेने पर होता एमडीआर का खतरा
मोतिहारी
मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट को एमडीआर टीबी के नाम से जाना जाता है। इन्हें बिगड़ी हुई या गंभीर प्रकार की टीबी भी कहते हैं। जब सामान्य टीबी में काम आने वाली दो मुख्य दवाएं आइसोनियाजिड व रिफाम्पीसीन रोगी पर बेअसर हो जाती हैं। यानी टीबी के कीटाणु इन दवाओं के लिए रेजिस्टेंट हो जाते हैं, तो उस रोगी की टीबी को एमडीआर टीबी कहते हैं। वहीं एमडीआर टीबी के रोगी की दवा शुरू करने के छह माह बाद भी यदि उसका बलगम कल्चर पॉजिटिव आता है तो उसे एक्सडीआर टीबी मानते है जो काफ़ी जानलेवा होता है। जबकि सरकारी अस्पताल में राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुफ्त में रोगी का इलाज करवाया जाता है। एमडीआर होने पर 18 महीने तक नियमित दवाओं के प्रयोग से रोगी स्वस्थ हो जाता है। वहीं एक्सडीआर टीबी का उपचार 24 से 30 माह तक चलता है।
पूर्वी चम्पारण जिले में वर्ष 2020 में 162, 2021 में 183, 2022 में 183, 2023 में 171, वहीं इस वर्ष 2024 मई महीने तक कुल 83 एमडीआर मरीज मिले हैं। जिनका जिला यक्ष्मा केंद्र व पीएचसी पर इलाज हो रहा है। वहीं टीबी मरीजों की खोज आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा की जाती है तब टीबी के मरीज प्रतिवेदित होते हैं। जिनका इलाज कराने के साथ ही समय समय पर फॉलोअप किया जाता है। लाभार्थी संतोष कुमार, चिरैया प्रखंड निवासी ने बताया की एमडीआर के कारण मेरी हालत बेहद खराब हो चुकी थीं परन्तु जिला यक्ष्मा केंद्र मोतिहारी से इलाज कराकर मैं आज पूर्णतः स्वस्थ हूं। लोगों को भी टीबी से बचाव के लिए जागरूक कर रहा हूं।
जिले के यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सुनील ने बताया की जिले मे 8500 से ज्यादा टीबी मरीज है जिनका उपचार हो रहा है। उन्होंने बताया की आमतौर पर टीबी के मरीज जब दवाओं को नियमित रूप से नहीं लेते तो एमडीआर की समस्या होती है। वहीं दवाओं के सही चयन या सही मात्रा मे उपयोग न करने से भी एमडीआर टीबी हो सकता है। टीबी के वे रोगी जो एचआईवी से पीड़ित हैं, जिन्हें फिर से टीबी रोग हुआ हो, टीबी की दवा लेने पर भी बलगम में इस रोग के कीटाणु आ रहे हैं या टीबी से प्रभावित वह मरीज जो एमडीआर टीबी रोगी के संपर्क में रहा है, उसे एमडीआर टीबी का खतरा हो सकता है।