सुप्रीम कोर्ट आज यानी मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र को नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है, जब तक कि शीर्ष अदालत नागरिकता (संशोधन) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं कर लेती। साल 2019 में CAA प्रावधान पारित होने के बाद से इस मामले पर शीर्ष अदालत में 230 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं।
अधिसूचित नियमों पर रोक लगाने की मांग
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले में सुनवाई करेगी। इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग (IUML) ने 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 और 11 मार्च, 2024 को सरकार द्वारा अधिसूचित इसके नियमों पर रोक लगाने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की थी। लोकसभा सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी CAA के प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गैर-मुस्लिम प्रवासियों को मिलेगी नागरिकता
गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया था। यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों के लिए इन देशों के वैध पासपोर्ट या भारतीय वीजा के बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
IUML ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका
केंद्र की ओर से CAA के तहत नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आईयूएमएल ने मांग की कि विवादित कानून और नियमों पर रोक लगाई जाए और मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं। IUML के अलावा अन्य पार्टियों और व्यक्तियों जैसे डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI), असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका, असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने भी आवेदन दायर किया है।
कुछ क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे ये नियम
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया था। लोकसभा ने 9 दिसंबर को विधेयक पारित किया, जबकि राज्यसभा ने 11 दिसंबर को इसे पारित किया। अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता पर संशोधन कुछ क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे। इनमें संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र शामिल हैं। बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 के तहत जिन राज्यों में ‘इनर लाइन परमिट’ व्यवस्था लागू है, वहां भी CAA लागू नहीं होगा। अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड में ‘इनर लाइन परमिट’ की व्यवस्था लागू है।
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