जन्मजात दोष और विकृतियों पर चिकित्सा पदाधिकारियों का हो रहा है जिला स्तरीय प्रशिक्षण
– 26 एवं 27 दिसम्बर को दो दिनों तक होना है प्रशिक्षण
मोतिहारी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मोतिहारी के आईएमए हॉल में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान की अध्यक्षता में बच्चों में होने वाले जन्मजात दोष और विकृतियों की पहचान के संबंध में जिला स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस प्रशिक्षण में जिले के मोतिहारी, रक्सौल, पकड़ीदयाल, ढाका, अरेराज, चकिया के अनुमण्डलीय अस्पताल, जिले के सीएचसीसी /पीएचसी / एपीएचसी, डिलीवरी पॉइंट के चिकित्सा पदाधिकारियों एवं आरबीएसके के चिकित्सकों ने भाग लिया। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मूल मुख्य उद्देश्य जन्म होते ही दोष वाले एवं विकृति वाले की बच्चों की पहचान हो, ताकि जल्द से जल्द ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकें। वहीं सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ विजय कुमार ने बताया कि लोगों के बीच जन्मजात रोगों की पहचान करना एवं उनका समय पर इलाज करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों की पहचान करना ही आरबीएस के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने चिकित्सकों को सेवा भावना से कार्य करने का सुझाव दिया। आरबीएसके की जिला समन्वयक डॉ शशि मिश्रा ने कहा कि जन्म के समय से 48 घंटे के अंदर ऐसे शिशु की पहचान कर उनको समय पर बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है।
डॉ शशि ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य वैसे बच्चे को चिन्हित करना है जिन्हें जन्म से हृदय में छेद, तालु एवं कटे होठ, सिर के असामान्य रूप से बड़ा होना होना, पैर का विकृत होना इत्यादि हो, ऐसे बच्चों को समय पर चिह्नित करते हुए बिहार सरकार के उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में भेज कर उपचार कराया जाता है, इस कार्यक्रम के अंतर्गत वह लोग लाभान्वित होते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मजात हृदय रोग के इलाज में पूरे बिहार में नंबर वन पर पूर्वी चम्पारण जिला है। वहीं शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ पंकज कुमार ने बताया कि भारतवर्ष में 04 से 06 प्रतिशत जन्मजात विकाऱ होते है, लगभग 17 लाख शिशु जन्मजात विकार के साथ पैदा होते है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान चिकित्सकों से डिलीवरी पॉइंट से सम्बन्धित जानकारी ली गई।