मोतिहारी।
सुगौली प्रखंड के उतरी छपरा बहास के भवानीपुर में सिकरहना नदी कटाव कर रही है। जिससे वार्ड नौ के करीब तीस घरों पर कटाव का खतरा बढ़ गया है। यहां रूक रुक कर हो रही कटाव से लोग डरे सहमें है। सिकरहना नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि होने से कैथवलिया, भवानीपुर में भारी दबाव बना है। जहां कटाव हो रही है। भवानीपुर मुख्य गांव से कुछ दुरी पर अवस्थित करीब तीस घर की बस्ती के लोग डर के साये में जी रहे है। जहां पांच दिन में करीब दस फीट कटाव हो गया है। कटाव कुछ घर के नजदीक पहुंच गया है। जिससे चार पांच घर के लोग पलायन कर गए है। वे लोग अपने झोपड़ी से सामान निकाल बगल के बांध व पड़ोस के घर में चले गए है। पूर्व मुखिया पति विनोद ठाकुर ने बताया कि अब भघ रुक रुक कर कटाव हो रही है।
तेज कटाव को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने बांस लगा कर कटाव रोकने का प्रयास किया। जिससे कुछ कटाव कम हुआ है। लेकिन कटाव की रफ्तार देख अंदेशा लगाया जा रहा है कि पानी की तेज धार बांध को निशाना बनाएगी। इसकी सूचना पर एसडीओ ने स्थानीय अधिकारियों के साथ कटाव स्थल का जायजा लिया। जहां उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। करीब तीस फीट की दुरी में कटाव हो रही है। रूक रुक कर छोड़ रहे अर्की को देख लोगों का दिल दहल रहा है। जहां बेवस आंखे छोड़ रही अर्की को देख रही है।
यहां बिते कई बर्षों में हुई कटाव में बड़ी संख्या में लोगों का घर नदी में विलीन हो गया था। एक बार फिर से खतरा बढ़ गया है। स्थानीय मसुदन खातुन ने बताया कि दो साल पहले कटाव होने के बाद बगल में बांध पर घर बनाया गया। अब डर है कि यह घर भी नहीं नदी कह़ी काट न ले। आयशा खातून ने बताया कि वर्ष 21 एवं 22 में घर काट लिया। अब हमलोग यहां बांध पर फुस का झोपड़ी बना कर गुजर बसर कर रहे है। यहां भी नदी का दबाव बना है। नदी की धार सैरैल खातुन की झोपड़ी को छूकर बह रही। जिससे वे दहशत में है। झोपड़ी का कुछ टाटी भी धंस गया है। अब उन्हें डर है कि यह बसेरा भी गायब हो जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि रात भर हमलोग रातजगा कर रहे है कि कि कहीं कटाव न हो जाए। जो घर नदी में विलीन हुआ था, उसका अबतक मुआवजा नहीं मिल सका है। नदी की धार मोमीना खातूंन के घर के करीब पहुंच गया है। जिससे वे सपरिवार घर छोड़ फरार हो गए है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार मंसुर आलम, मनीर मियां,बसीर मियां, सर्फूदीन मियां अपना झोपड़ी छोर पलायन को मजबूर है।
मौके पर मौजूद सकीला खातूंन, जरीना खातून, सकलीना खातून , जमनेशा खातू,आदि ने बताया कि हर साल यहां कटाव होता है। इस साल करीब दस फीट कटाव हुआ। हमलोगों के पास घरारी का जमीन नहीं है। घर के गारजियन बाहर काम करते है। नदी का कटाव देख डर से निंद नहीं आ रही है। नदी के किनारे अवस्थित आने जाने का रास्ता भी काट लिया है। कोई सुनने तक नहीं आया। अपने से बांस काटकर बचाव किया है। वहीं ग्रामीणों ने स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश जताया।
